उमरिया के चार अनसुलझें अंधे हत्याकाण्ड की गुत्थी सुलझाएगे एसपी विकास कुमार
प्रभारी एसपी के कार्यकाल में बढ़े जघण्य अपराधों के आकड़े
उमरिया ll जिले में बीते १५ दिन के भीतर अंधे हत्याकाण्ड की गुत्थी न सुलझनें और आरोपियों के न पकड़े जानें से पुलिसिया कार्यवाही पर लगातार सवाल खड़े हो रहे है। बता दें २४ जून को उमरिया जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा स्थानांतरित होकर छतरपुर चले गये और तब से पुलिस अधीक्षक के प्रभार में तैनात अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने हत्या जैसी वारदातों में क्विक पुलिसिंग को दरकिनार करते हुए स्थानीय थानों में पदस्थ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की अदला बदली को ज्यादा महत्व दिया,और पूर्व से दुर्भावना ग्रस्त होने के कारण कुछ ऐसे पुलिस कर्मचारियों को भी साइड लाइन कर दिया गया जो जिले में अच्छा काम कर रहे थे, जो जिले में बेहतर पुलिसिंग का कार्य तो किया ही, उसके अलावा जनता और पुलिस के बीच अच्छा तालमेल बनाने प्रयास किया था, लेकिन अदला-बदली के कारण परिणाम रहा कि चारों हत्या की वारदातों में अपराधियों के न पकड़े जाने के रूप में सामने है।
बतौर प्रभारी पुलिस अधीक्षक अपने १५ दिन के कार्यकाल में जिले में पुलिसिंग को चुस्त दुरूस्त बनाने की बजाय स्थानांतरण, पोस्टिंग में ज्यादा बिजी रही हालाकि जिले में नवागत पुलिस कप्तान ने जघण्य हत्या जैसी वारदातों के जल्द से जल्द खुलासे और जिले में अपराध के ग्राफ को कम करने का भरोसा दिलाया है। २०१४ बैच के आईपीएस विकास कुमार सहवाल पूर्व में एसपी साईवर सेल भोपाल , एएसपी भोपाल, एडीसी राज भवन एवं सीएसपी जबलपुर रहते हुए एक तेज तर्रार पुलिस अधिकारी की भूमिका का निर्वहन कर चुके है। उन्होने कहा है कि भौगोलिक क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से कोई जिला छोटा या बड़ा नही होता । पुलिस का मुख्य दायित्व अपराध ग्राफ को कम कर शून्य की स्थिति में लाना होता है।