महिलाओं का मुंडन, सरकार के माथे पर कलंक

भोपाल।।


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ में थोड़ी भी संवेदना बची है तो वे देख लें कि उनके प्रदेश में आज एक उच्च शिक्षित बेटी क्या करने जा रही है। आज सरकार की दमनकारी नीति से तंग आकर विरोध के इस स्तर तक बेटियांआ पहुँचीं है कि उन्हें अपने सम्मान और अस्मिता के प्रतीक, अपने जान से भी ज़्यादा प्यारे केशों का त्याग कर मुंडन कराना पड़ रहा है। कांग्रेस सरकार के राज में बेटियों की ऐसी दुर्दशा शायद पहले कभी नही थी।


शाहजहांनी पार्क भोपाल में बेहद ग़मगीन माहौल में ये बातें मुख्यमंत्री कमलनाथ के चुनावी क्षेत्र छिन्दवाड़ा की मुस्लिम महिला अतिथिविद्वान डॉ शाहीन खान ने मीडिया से बात करते हुए कहीं। विदित हो कि कांग्रेस सरकार से वचनपत्र अनुसार नियमितीकरण की मांग को लेकर सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले अतिथिविद्वान विगत 72 दिनीं से आंदोलनरत हैं। वे सरकार से जल्द अपने नियमितिकरण की नीति बनाने की मांग कर रहे हैं। 

 

मांगे नही मानी तो फिर होगा महिला मुंडन

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार कांग्रेस पार्टी ने अतिथिविद्वानों के शोषण का एक नया इतिहास रचा है। नियमितीकरण के लिए अनावश्यक देरी और लगभग 2700 अतिथिविद्वानों को बेरोजगार करने का काम कमलनाथ सरकार ने किया है । इसके विरोध में आज एक महिला अतिथिविद्वान ने अपने केश त्याग कर सरकार का विरोध जताया है। यदि सरकार ने अब भी अतिथिविद्वानों का ध्यान नही रखा एवं नियमितीकरण के लिए अनावश्यक देरी की तो आगे भी महिला अतिथिविद्वान अपना मुंडन करवाएंगी।

 

दिवंगत अतिथिविद्वान का अस्थिकलश एवं महिला अतिथिविद्वान का केशत्याग एक ही मंच पर

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह के अनुसार आज का दिन अतिथिविद्वानों एवं प्रदेश सरकार के लिए एक काला दिन है। शाहजहांनी पार्क स्थित अतिथिविद्वानों के पंडाल में आज एक बेहद हदय विदारक दृश्य देखने को मिला जहां पंडाल के एक ओर दिवंगत अतिथिविद्वान संजय कुमार का अस्थिकलश एवं उनकी पत्नी मौजूद थी, वहीं दूसरी ओर नियमितीकरण न किये जाने तथा सरकार के लगातार शोषण से त्रस्त होकर एक प्रदेश की एक उच्च शिक्षित बेटी एवं मुस्लिम महिला अतिथिविद्वान डॉ शाहीन खान ने अपने केशत्याग दिए। मध्यप्रदेश के इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब दिल को चीर देने वाले दो दृश्य एक ही पंडाल तले देखने को मिले। ये दुखद घटना सरकार के लिए खतरे की घंटी है। शासन जब इस प्रकार निरंकुश होता है तो सत्ता तक पहुचने वाली जनता जनार्दन ही ऐसी सरकारों को सिहांसन से उतार फेंकती है। अतिथि विद्वानों का आन्दोलन नियामितिकरण होने तक जारी रहेगा।

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