अतिथिविद्वानो की तकलीफो से सरकार को नही कोई सरोकार
भोपाल।। दिवंगत अतिथि विद्वान स्व.संजय पासवान की पत्नी अपने दोनों बेटों को लेकर शनिवार को वापस अपने गृह ग्राम बलिया उत्तर प्रदेश लौट गई है वे यहां शाहजहानी पार्क में 1 सप्ताह से सरकार के प्रतिनिधि से मिलने के इंतजार में बैठी हुई थी 8 माह से वेतन नहीं मिलने और आर्थिक तंगी से गुजर रहे अतिथि विद्वान संजय ने 10 फरवरी को उमरिया जिले के चंदिया स्थित अपने किराये के मकान में आत्महत्या कर ली थी जिसके बाद पत्नी लालसा देवी अपने पति का अस्थि कलश लेकर 15 फरवरी को भोपाल आ गई थी पत्नी का कहना था कि वे यहां उच्च शिक्षा मंत्री या सरकार के किसी प्रतिनिधि से मिलकर ही वापस जाएंगी और अपने पति की आत्मशांति के लिए अस्थियां गंगा में विसर्जित करेंगी।
21 फरवरी तक लालसा देवी अपने दोनो छोटे बच्चों के साथ रोते-बिलखते पति की अस्थियां के साथ पंडाल में बैठे रही लेकिन सरकार की ओर से कोई भी प्रतिनिधि मिलने नहीं आया,और वह पंडाल में ही अपने पति का अस्थि कलश छोड़कर वहां से वापस उत्तर प्रदेश चली गई।बता दे कि मृतक अतिथि विद्वान संजय पासवान चंदिया महाविद्यालय में बतौर क्रीड़ा अधिकारी नियुक्त थे।
(फ़ोटो-दिवंगत अतिथि विद्वान संजय)
सरकार ने पार की सारी हदें,
सरकार के इस रवैये से राष्ट्रीय स्तर पर हो रही घोर निंदा
दिवंगत अतिथिविद्वान स्व. संजय पासवान को नहीं पता था कि जिस सरकार को चुनेंगे जिस पर भरोसा करेंगे वहीं जख्म देगा,जख्म इतना गहरा कि जान देनी पड़ी लेकिन सरकार ने वादाखिलाफी की सारी हदें पार कर दी,अतिथि विद्वानों ने सरकार का 14 वर्षों का वनवास खत्म कराने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी पूरे प्रदेश में भाजपा के खिलाफ माहौल तैयार कर दिया था,जिस कारण कांग्रेस पार्टी सत्ता में काबिज हुई, लेकिन सरकार बनने के बाद अतिथि विद्वानों के साथ अब सरकार वादाखिलाफी कर रही है, अतिथि विद्वानों के 25 वर्षों का वनवास खत्म करना तो दूर नौकरी जाने का डर और वेतन नही मिलने से परिवार में आई आर्थिक तंगी के चलते विद्वान आत्म हत्या जैसे आत्म घाटी कदम उठाने लगे और सरकार लगातार संवेदनहीन बनी रही। कमलनाथ सरकार के इस रवैये से अतिथिविद्वान सहित प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर घोर निंदा हो रही है।