अद्दभुत रहा टकटईगढ़ लोकरंग महोत्सव
उमरिया।।
खत्म होती लोक संस्कृतियों एवं परंपराओं को समाज की मुख्य धारा में बनाये रखने उमरिया जिले के सुदूर गांव बंधवाटोला में हुआ टकटईगढ़ लोकरंग महोत्सव,दर्जन भर गांवो के हजारों लोग हुए शामिल।बंजारा,भुइयां, बैगा और गोंड़ समाज के नृत्य से अभिभूत हुए लोग,सहभोज के साथ दिया भाईचारे का संदेश।
कार्यक्रम के आजोजक बाला सिंह टेकाम ने बताया कि आदिवासी बाहुल्य उमरिया जिले में समाज से विलुप्त होती लोकपरंपराओं,संस्कृतियों के सरंक्षण के लिए सुदूर डिंडोरी जिले की सीमा पर सुरम्य वादियों के बीच स्थित ग्राम बंधवाटोला में टकटईगढ़ लोकरंग महोत्सव का आयोजन किया गया,जिसमे आदिवासी समाज के बंजारा, भुइयां,बैगा,और गोंड़ लोक कला दल के लोगो ने हिस्सा लेकर अपने अपने समाज के परंपरागत,नृत्य ,गायन की प्रस्तुति दी,इस आयोजन में आसपास के दर्जन भर के गांव के हजारों लोगों ने हिस्सा लिया और एक दूसरे की लोक संस्कृति को जाना समझा,इस दौरान बंजारा समाज के लंहगी नृत्य को लोगों ने पहली बार देखा और खूब सराहा।
आमजनमानस और लोक कलाकारों को संबोधित करते हुए विधायक शिवनारायण सिंह ने कहा कि समाज मे लोक कलाओं के सरंक्षण के लिए भले ही सरकार की अपनी योजनाएं हो लेकिन गरीबी और जानकारी के अभाव में लोक परंपराएं लगातार गायब हो रही है इस आयोजन के बाद पुरानी परम्पराएं एक बार फिर से जी उठी हैं आयोजक मंडल की माने तो नई पीढ़ी के युवा वर्ग को इन संस्कृतियों और लोक परंपराओं का पाठ पढ़ाना होगा ताकि ये समाज की मुख्य धारा में बनी रहें।
विंध्य मैकल पर्वत श्रृंखला पर जमीन से 1000 फुट ऊपर स्थित टकटईगढ़ दसवीं शताब्दी तक गोंडवाना साम्राज्य का किला था लेकिन कालांतर में यह खंडहर में तब्दील हो गया,टकटईगढ़ को फिर से संवारने और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सामाजिक परंपराओं के साथ शुरू की गई यह मुहिम न सिर्फ कारगर साबित बल्कि समाज की लोक मान्यता को भी नए रूप में सामने लाएगी।